मेरी प्रिय,
देता रहा हूँ
ह्रदय प्यार
तुम्हे अनवरत,
लेकिन
कतिपय अवसरों पर
तुम भी
प्रेम नही,
प्रेम अभिनय की
आकाछिंत हो उठती हो,
इस अभिनय में चूकने पर,
"जिद के आगे हारा प्यार मेरा"
कह बैठती हो,
मान लेती हो
प्रेम पगे पलों को भी अभिनय
अतः
अब मैं भी,
प्रेम ह्रदय से नही,
मस्तिष्क से करने के लिए,
इस वांछित अभिनय में,
दक्षता के लिए,
चेष्टारत हूँ !!!!
देता रहा हूँ
ह्रदय प्यार
तुम्हे अनवरत,
लेकिन
कतिपय अवसरों पर
तुम भी
प्रेम नही,
प्रेम अभिनय की
आकाछिंत हो उठती हो,
इस अभिनय में चूकने पर,
"जिद के आगे हारा प्यार मेरा"
कह बैठती हो,
मान लेती हो
प्रेम पगे पलों को भी अभिनय
अतः
अब मैं भी,
प्रेम ह्रदय से नही,
मस्तिष्क से करने के लिए,
इस वांछित अभिनय में,
दक्षता के लिए,
चेष्टारत हूँ !!!!
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