Monday, 7 July 2014

रख छोड़े हैं कुछ अनखुले से शब्द
बंद मुट्ठी में,
आँखें बंद करू तो
फूंक मार
इन्द्रधनुष फैला दो हथेलियों पर,





लेकिन तुम भी क्या करोगे ------ तुम तुम हो।

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