अपने सपनो को तुम्हारी हंसी में गूंथ कर
एक कागज़ बनाउंगी
और
उस पर लिखूंगी एक कविता
तुम्हारी आँखों से मेल खाती
और फिर
मोड़ कर बना दूँगी
उसे
एक डोंगी
लगाऊंगी उसमे एक पाल भी
और
छोड़ दूँगी उसे
खूब-खूब बारिशों में
दुआ करना
तुम तक पहुँच जाए
या
भीग जाये
आमीन!!!!
एक कागज़ बनाउंगी
और
उस पर लिखूंगी एक कविता
तुम्हारी आँखों से मेल खाती
और फिर
मोड़ कर बना दूँगी
उसे
एक डोंगी
लगाऊंगी उसमे एक पाल भी
और
छोड़ दूँगी उसे
खूब-खूब बारिशों में
दुआ करना
तुम तक पहुँच जाए
या
भीग जाये
आमीन!!!!
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