मैंने कहे थे गीत
वो सुनता रहा दरारों से पीठ टिकाये
मैंने रख छोड़े कुछ शब्द प्यासे से
उसने उन्हें पोसा सातों जल से
वो सुनता रहा दरारों से पीठ टिकाये
मैंने रख छोड़े कुछ शब्द प्यासे से
उसने उन्हें पोसा सातों जल से
मैं डूबती रही साबुत निकलती रही
स्वांग धरती रही
और
एक दिन
उसकी मौजूदगी के अहसास ने
मुझे झूठा बना दिया
मुझे झूठा बना दिया
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