सीधी सड़क से गुजरते एक मोड़ पर खड़ी हूँ
तुम्हे तलाशते तुम्हारे शहर पहुंची हूँ
किस राह जाऊं ?
इस शहर के बीत चुके मुस्कुराते नजारे,
सामने खड़े हैं
सीधी नीरव राह से गुजरता
पुल से उतरता
कभी मेरा रहा शहर
अब जो तुम्हारा है सिर्फ
मेरे साथ-साथ ये भी
काफी बदल सा गया है
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