उसकी निगाहों की तपन को अपने चेहरे पर धीरे-धीरे बर्फ होता हुआ महसूस करना ,
आँखों के किनारे पड़ने वाली छोटी छोटी लकीरों को धुंधलाते हुए देखना,
कमर गोल कर सिर्फ एक आंसू रोना
जिससे
दिए जा सकने वाले तमाम बोसे रह सके मीठे,
ज़र्द होती हथेलियों पर उँगलियों से चुपचाप लिखना "मत जाओ",
जाती हुई अपनी हर एक उम्मीद के सिरहाने इस तरह बैठना ...
सुन्दर भावों को बखूबी शब्द जिस खूबसूरती से तराशा है। काबिले तारीफ है।
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