सदियों से बीते हुए समय को उलट कर
बेआवाज़ रोने के बीच
काश के साथ
याद में दाखिल है एक चेहरा
लेकिन
उसने चुना है अपने लिए
सिर्फ
मुस्कुराहटें देखना
हा ! इस प्रेम की नियति यही है
बेआवाज़ रोने के बीच
काश के साथ
याद में दाखिल है एक चेहरा
लेकिन
उसने चुना है अपने लिए
सिर्फ
मुस्कुराहटें देखना
हा ! इस प्रेम की नियति यही है
बहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद