एक धसका सा उभरता है सीने में,
सर पर थपक की इक्षा लिए हुए,
अटकी पड़ी है एक हिचकी
आने और
नाम के साथ गुज़र जाने की
प्रतीक्षा में ,
घुप्प अँधेरे की आदी उंगलियाँ
निकाल लाती हैं संदूकची
रख तो गए हो
परिभाषा से बिछड़ा
असीमित स्नेह !!
सर पर थपक की इक्षा लिए हुए,
अटकी पड़ी है एक हिचकी
आने और
नाम के साथ गुज़र जाने की
प्रतीक्षा में ,
घुप्प अँधेरे की आदी उंगलियाँ
निकाल लाती हैं संदूकची
रख तो गए हो
परिभाषा से बिछड़ा
असीमित स्नेह !!
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