उन्ही चिट्ठियों से फिर गुज़रना
सीधी सड़क पे
पीछे रह गए मोड़
पर ठिठकना
मुस्कराहट शैतानी भरी
छू आती है
एक
शांत स्मित
उलझा जाती हैं पैरों को
बेसबब बातें
ललचा उठती हूँ
तुम्हे गुनने को !!
सीधी सड़क पे
पीछे रह गए मोड़
पर ठिठकना
मुस्कराहट शैतानी भरी
छू आती है
एक
शांत स्मित
उलझा जाती हैं पैरों को
बेसबब बातें
ललचा उठती हूँ
तुम्हे गुनने को !!
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