एक सुबह तुमने जो कहा,
लगा
कुछ सोये हुए से कम्पन मेरे भीतर जाग गए,
कुछ आँखों में आकर थम गए
और
कुछ
होठों पे आकर पथरा गए ,
हैरानी में घिरी कंही खोई सी,
तुम्हे देखती रही,
कुछ भाव लिपट से गए थे,
सारे के सारे ,
खारे समंदर जैसे थे!
लगा
कुछ सोये हुए से कम्पन मेरे भीतर जाग गए,
कुछ आँखों में आकर थम गए
और
कुछ
होठों पे आकर पथरा गए ,
हैरानी में घिरी कंही खोई सी,
तुम्हे देखती रही,
कुछ भाव लिपट से गए थे,
सारे के सारे ,
खारे समंदर जैसे थे!
Very Impressive!
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