काफी बदल गई हो तुम,
पहले जब भी आतीं थीं
तो
मेरे हर हिस्से में जम कर बैठ जातीं थीं
अब तो
कभी-कभी
एक कोने में
हिल -डुल कर
अपने होने का अहसास
कराती हो
तुम्हे अक्सर तलाशती हूँ
पुराने खतों में
सहेजे हुए लम्हों में
आती कम हो
फिर भी मुझे तुम
अब भी
उतनी ही प्रिय हो
हो तो तुम वही न
मेरी पुरानी
हंसी!!!!!!!!!!!!!
पहले जब भी आतीं थीं
तो
मेरे हर हिस्से में जम कर बैठ जातीं थीं
अब तो
कभी-कभी
एक कोने में
हिल -डुल कर
अपने होने का अहसास
कराती हो
तुम्हे अक्सर तलाशती हूँ
पुराने खतों में
सहेजे हुए लम्हों में
आती कम हो
फिर भी मुझे तुम
अब भी
उतनी ही प्रिय हो
हो तो तुम वही न
मेरी पुरानी
हंसी!!!!!!!!!!!!!
कपकपी गुदगुदी और वो अट्टहास लगा के हसी,
ReplyDeleteअब सारे अहसास फिर याद करने पड़ते हैं ,
जिंदगी की धुल एक बार फिर आंधी साथ ले आयी ,
चलो धो डाले इसे एक चुटकी निरमा से ...
:-p