dosheezaa
Friday, 23 August 2013
विवाह के बाद की
पहली रस्म,
तुम्हारी कलाई में बंधे
धागे में लगी
सात गांठों को
एक ही हाथ से खोलना था मुझे ,
वो रस्म अभी तक
पूरी नहीं हो पाई,
आज भी एक ही हाथ से
गांठें खोलने में
जुटी हुई हूँ!
1 comment:
Subodh Katiyar
17 September 2013 at 03:52
_/\_ bahot sundar
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_/\_ bahot sundar
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