दो विपरीत ध्रुवों के बीच ,
संतुलन नाप ,
रस्सी पर झूलती नटनी ,
गिरना जाने बिना संभलती है ,
पार कर जाती है फासले
अंगूठे और ऊँगली के
बीच बैठी
खाली जगह के सहारे
बांच रक्खी हैं भाग्यरेखायें
प्रेम ने ।
संतुलन नाप ,
रस्सी पर झूलती नटनी ,
गिरना जाने बिना संभलती है ,
पार कर जाती है फासले
अंगूठे और ऊँगली के
बीच बैठी
खाली जगह के सहारे
बांच रक्खी हैं भाग्यरेखायें
प्रेम ने ।
नाज़ुक... सुन्दर...
ReplyDeleteप्रेम अद्भुत नट-पग है...
शून्य में पांव रख
पांव में तूफान रख
आँखों में गीत रख
ताकती है
रंग नापती है