dosheezaa
Tuesday, 17 December 2013
तुम्हे सोचते हुए
सर्द ख्वाहिशें
अनजान मैं
अनकहे अबूझे शब्द
मैं और मेरा मैं
सात परिक्रमायें और सात रंग
उदासी की मुस्कान
एक बूँद खारा पानी
अधूरे स्वप्न और पूर्णविराम
...
नीरव स्मित पंक्तियाँ
स्याह पुष्प और श्वेत रात्रि
संबोधन का अंत
तुम्हे होना चाहिए था
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