Tuesday 18 February 2014

उतरता है अँधा कुआँ
तलाशने
जाने चेहरे की अनसुनी में
गुम हुई एक आवाज़ को
बैठी रह जाती हैं
उजाड़ मुंडेर पर
थिर दो आँखें
नहीं करती फ़रियाद
इस बार किसी
कागा से

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