उतरता है अँधा कुआँ
तलाशने
जाने चेहरे की अनसुनी में
गुम हुई एक आवाज़ को
बैठी रह जाती हैं
उजाड़ मुंडेर पर
थिर दो आँखें
नहीं करती फ़रियाद
इस बार किसी
कागा से
तलाशने
जाने चेहरे की अनसुनी में
गुम हुई एक आवाज़ को
बैठी रह जाती हैं
उजाड़ मुंडेर पर
थिर दो आँखें
नहीं करती फ़रियाद
इस बार किसी
कागा से
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