Tuesday 31 December 2013

मेरे शब्द ,
अब
मुझसे भी कुछ नहीं कहते ,
चुप से खड़े हैं
परछाईयाँ थामे ,
कर दिया है
उनका श्राद्ध ,

प्रेम के मन्त्रों ने

1 comment:

  1. आपकी इन पंक्तियों को कविता मंच पर साँझा किया गया है

    संजय भास्कर
    http://kavita-manch.blogspot.in

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