Sunday 14 December 2014



ख्वाब में देखे ख्वाब उंगली में लिपटे रह जाते हैं और बेहद टीसते हैं


ऊँगली से लिपटे ख्वाब रंग बदल देते हैं उँगलियों का, गहरा नीला , इस नीले रंग में मिला होता है एक शांत मुस्कराहट, मीठी सी टीस और एक सुखद अहसास का रंग भी और तब ज़िन्दगी खूबसूरत लगती है.





बड़े बड़े काँटों के बीच से चुनना बिखरे आधे और कुछ पूरे फूल। उन्ही के बीच कुछ सूखे फूल मिलना , वाकई ज़िन्दगी खूबसूरत है।




जब स्कूल में थी तो वॉयलिन सीखना चाहती थी शायद इसलिए की उस समय जितनी भी किताबें पढ़ती थी लगभग उन सभी के नायक वॉयलिन बजाया करते थे लेकिन सीखा सितार. शायद माँ की चाहना होगी. शाम के वक़्त जब सितार बजता तो माँ की शांत आँखें देख लगता ज़िन्दगी खूबसूरत है




आज सब कुछ पीछे छोड़ के मन करता है कंधे पे पिट्ठू टांगू और चल दूं कहीं को भी. तयशुदा मंजिलें कभी भी मुझे अपनी और नहीं खींचती . आँखें बंद कर के जब सफ़र पे निकलती हूँ तो खुद को गर्म दोपहर में सुनसान कच्चे रस्ते पे पाँव -पाँव चलते हुए देखती हूँ. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी ये सफ़र तब तक के लिए मुल्तवी कर देती हूँ जब तक बेटा बड़ा नहीं हो जाता. बेटा कहता है की आपका मन है तो चली जाओ, कोई भी प्रॉब्लम आती है तो अपने साथ सोल्यूशन ले के आती है बस उस छिपे हुए सोल्यूशन को खोजना होता है. जब आप नहीं रहोगी तो मैं अपने सारे काम खुद करना सीख ही लूँगा. उसका ये कहना की जब आप नहीं रहोगी मुझे हुलसा देता है. उसे खुद में रमे देखती हूँ तो लगता है की ज़िन्दगी खूबसूरत है.




ज़िन्दगी तब भी बेहद खूबसूरत थी जब मेरे पास वैसी कोई प्रेम कहानी नहीं हुआ करती थी जैसी स्कूल में कुछ एक लड़कियों के पास हुआ करती थी. स्कूल के पीछे की दीवार कूद कर आया लड़का जब डंडा बजाते चौकीदार के डर से वापस भाग जाता और उसकी वो प्रेयसी हम चार-पाँच लड़कियों के बनाये घेरे में खड़ी गालों पे अंकित उस प्रेम निशानी को सहेज रही होती तो मुझे हैरत होती थी. आज भी अपना वो हैरतज़दा चेहरा देख पाती हूँ उस गोल घेरे के बाहर  खड़ी हो कर. लेकिन आज तक भी ये नहीं समझ पाई की हैरत किस बात की हुआ करती थी. उम्र के उस मोड़ पर उस प्रेम कहानी के रोमांच को समझने में सर खपाने से बेहतर लगता की रसोई में गैस के पास बैठ कर जल्द से जल्द श्रीकांत खत्म की जाए. कुछ बातें , कुछ हैरतें सिर्फ और सिर्फ अपनी होती हैं, लहू-मांस की तरह. जिन्हें किसी से भी साझा नहीं किया जा सकता , कभी-कभी खुद से भी नहीं. पिछली उम्र जब आज दौड़ कर उँगली थाम लेती है तो लगता है

ज़िन्दगी खूबसूरत है.

https://www.youtube.com/watch?v=kowARsNeMqo



Lambi Judaai - Reshma - LIVE
इस गीत को सुनते हुए न तो उदासी तारी होती है और न ही तुमसे दूरी का अहसास होता है। इसे सुनते हुए डूब जाती हूँ तुम में। तुम्हारे कंधे से लगी सुनती हूँ तुम्हारी आवाज़। गहरी ,धीमी आवाज़ ,तुमने सुनी है कभी अपनी आवाज़ ,मुझसे बात करते हुए, कितनी खामोश और मुझ तक पहुँचने को आतुर।अचानक ही बेहद धीमे स्वर में बोलने लगते हों शायद इसलिए की मेरी आँखों में खुद कों देखना चाहते हो। खुल के रह गई पायल को उठाते हो और मेरी फैली हथेली की बजाय जेब में रख लेते हो। हमारे बीच कभी किसी सवाल के लिए जगह नहीं रही।


ज़िन्दगी खूबसूरत है, है न!
























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