dosheezaa
Friday 23 August 2013
हंसती हूँ ,मुस्कुराती हूँ,
कभी -कभी खीज भी जाती हूँ
व्यस्त रहने की कोशिश करती हूँ,
जीतती भी हूँ ,हारती भी हूँ,
और अब तो
अक्सर
ईश्वर से नाराज़ हो उठती हूँ,
सालो से तुम एक ही तो
दुआ
मांग रहे हो ,
क्यों नहीं वो तुम्हारी सुनता,
और
कर देता मुझे मुक्त!!
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