Thursday 22 August 2013

बीती रात कुछ अपने से लगे थे तुम,
मेरे सारे ख्वाब घुटने मोड़े,
बैठे थे पास तुम्हारे,
तुमने कुछ कहा नहीं,
अंजुली में भर आँखों से लगाया था,
मेरे सूखे होंठ गीले हो गए थे,
नन्हे से सपने को काँधे पे बिठा,
नंगे पाँव चले थे तुम,
साथ चलने के लिए ,
आवाज़ लगाती रुक सी
गई थी मैं,
देहरी पे खड़ी ,हाथ बढाया था
और तुमने मेरी लकीरों में
खिलखिलाहट भर दी थी
बीती रात कुछ अपने से लगे थे
तुम!!!!!!!!

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